गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है, Ganesh Chaturthi Kyon Manaya Jata Hain, इस महीने की गणेश चतुर्थी कब है, गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी क्या है, गणेश चतुर्थी का महत्व, गणेश चतुर्थी के मुख्य मंत्र क्या हैं
दोस्तो आप सभी का इस ब्लॉग पोस्ट में स्वागत है, जहां पर हम आपको एक और महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले है इस लेख में हम आपको गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है (Ganesh Chaturthi Kyon Manaya Jata Hain) से जुड़ी हुई जानकारी देने वाले है।
साथ में जानेंगे की गणेश चतुर्थी क्या है, गणेश चतुर्थी किस महीने में आती है, गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है, गणेश चतुर्थी के मुख्य मंत्र क्या हैं और गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं से संबंधित संपूर्ण जानकारी आज के इस लेख में हम आपको देने वाले है।
दोस्तो भारत में कई सारे हिन्दू त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाए जाते है, गणेश चतुर्थी भी उनमें से एक है, वैसे तो सभी लोग कोई भी नया काम करने से पहले गणेश जी को याद करते है, लेकिन साल में एक बार गणेश चतुर्थी का त्योहार अवश्य मनाते हैं, गणेश जी की पूजा को ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है,
लेकिन आपमें से कई सारे लोगो को गणेश चतुर्थी की कहानी नहीं पता होगी, अगर आपको नही पता है की गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है, तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े, दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
वैसे तो भारत के सभी राज्यों में गणेश चतुर्थी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु महाराष्ट्र के लोग बहुत ही बेसब्री से गणेश चतुर्थी का इंतजार करते है, गणेश जी भगवान शिव और पार्वती के पुत्र है, और भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक माने जाते हैं, आइए अब बिना किसी देरी के जानते है की गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है।
Table of Contents
गणेश चतुर्थी क्या है ?
दोस्तो गणेश चतुर्थी हिंदुओ का एक धार्मिक त्यौहार है, हर साल सभी भारत वासी बड़े ही हर्ष उलाश के साथ गणेश चतुर्थी का यह त्योहार मनाते है, गणेश चतुर्थी का यह त्योहार 10 दिनों का होता है, इन 10 दिनों के दौरान भगवान गणेश जी की आरती की जाती है।
भगवान गणेश जी की आरती की शुरुआत वैदिक भजनों, प्रार्थनाओं और हिंदू ग्रंथों जैसे गणेश उपनिषद से होती है, आरती के बाद भगवान गणेश को मोदक भोग लगाया जाता है, और जिसके बाद भगवान का प्रसाद सभी भक्तों में वितरण कर दिया है, इसी प्रकार से 10 दिनों तक सुबह और शाम को भगवान की आरती की जाती है।
और इन दिनों लोग भंडारे भी करवाते है, जगह जगह पर प्रसाद वितरण होता है, खास करके महाराष्ट्र में गणेश उत्सव को काफी हर्ष उलाश के साथ मनाया जाता है, शहर में जगह जगह पर भंडारे भी होते है, और पूरा धार्मिक माहौल बन जाता है, दोस्तो मंदिरों और सोसायटी के अलावा भी लोग अपने घरों में गणेश जी स्थापना करते है,
10 दिनों के लिए हर घर में गणेश जी की स्थापना और पूजा आरती की जाती है, दोस्तो गणेश जी ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक है, ऐसे में हर व्यक्ति बड़ी ही श्रद्धा भाव से गणेश जी की स्थापना अपने घर में करवाते है, आइए अब जानते है, की गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी की जानकारी
नाम | गणेश चतुर्थी |
अन्य नाम | चविथी, चौथी, गणेशोत्सव, गणेश पूजा |
आरम्भ | भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी तिथि |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन |
2023 तारीख | 19 सितंबर |
तिथि | भाद्रपद, शुक्ल, चतुर्थी |
अनुयायी | हिंदू भारतीय |
समाप्त | स्थापना के 11 दिनो बाद |
आवृत्ति | प्रति वर्ष |
गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है ?
दोस्तो गणेश चतुर्थी हिंदुओ का एक धार्मिक त्यौहार होता है, जोकि प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान शिव और पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का जन्म हुआ था, ऐसे में हर साल यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी कब है 2023 में ?
इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 2023 में दिन मंगलवार, तारीख 19 September (19/09/2023) को मनाया जायेगा, दोस्तो गणेश चतुर्थी का यह त्योहार हर साल रक्षाबंधन त्योहार के 15 दिनों बाद आता है।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है ? (Ganesh Chaturthi Kyon Manaya Jata Hain)
गणेश चतुर्थी का त्योहार एक धार्मिक त्यौहारों में से एक है, हर साल सभी भक्त गणेश जी स्थापना करते है, गणेश चतुर्थी के त्यौहार को गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि गणेश जी ज्ञान, खुशी और समृद्धि लाते है, और भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करते है।
गणेश चतुर्थी इसलिए भी मनाया जाता है, क्योंकि गणेश जी भगवान शिव और पार्वती के पुत्र है, और किसी भी बड़े कार्य को करने के पहले गणेश जी को याद किया जाता है, इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी को गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी को एक त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है, हर साल भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए गणेश जी की स्थापना करते है, और यह स्थापना 10 दिवसीय होती है, इस 10 दिवसीय स्थापना में भक्ति गणेश जी की सुबह शाम आरती करते हैं, और उन्हे मोदक भोग लगाते है।
गणेश चतुर्थी को किसी बड़े हिंदू त्योहार के रूप में माना जाता है, और गणेश चतुर्थी के दौरान भारत के हर राज्यों में भंडारे और मेले लगते है। और भक्त बड़े ही धूमधाम से भगवान की सेवा करते है और लोग उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन और भोग तैयार करते हैं।
हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, ऐसा माना जाता है की जो लोग भगवान गणेश जी की स्थापना करते है, उन्हें श्री गणेश लंबी आयु, वैराग्य, ज्ञान और धन की प्राप्ति करते है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते है।
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गणेश चतुर्थी के मुख्य मंत्र क्या हैं ?
दोस्तो गणेश जी का एक मुख्य मंत्र भी है अगर आप इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करते हैं तो आपको ज्ञान, धन और वैराग्य प्राप्त होता है, इसके अलावा आपके जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयां दूर हो जाती है गणेश जी का मुख्य मंत्र निम्नलिखित है –
- वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ .
- निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा …
गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है ?
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है, गणेश चतुर्थी एक धार्मिक त्यौहार है और सभी भक्त गणेश चतुर्थी का हर साल बेसब्री से इंतजार करते है गणेश चतुर्थी के पीछे की एक महत्वपूर्ण कहानी जिसके बारे में शायद आपको जानकारी नहीं होगी, आगे हम आपको गणेश जी की कहानी के बारे में जानकारी देने वाले है।
एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए जाती है, तब पहरेदार के रूप में मां पर पार्वती अपने शरीर के मेल से एक पुतला बनाती है, और उसे पुतले में प्राण डालकर उसे एक बालक के रूप में परिवर्तित कर देती है, जिसके बाद उस बालक को माता पार्वती कहती है कि मैं नहाने जा रही हूं,
तुम मेरी आज्ञा के बिना किसी को भी अंदर मत आने देना, ऐसा कहकर माता पार्वती उस बालक को दरवाजे पर खड़ा कर देती है, और उसके बाद नहाने चली जाती है, वह बालक द्वारा पर पहरेदारी कर रहा होता है तभी वहां पर भगवान शिव आ जाते हैं, और उस बालक को द्वार से हटने के लिए कहते हैं,
परंतु वह बालक द्वार से नहीं हटता है और भगवान शिव को अंदर नहीं जाने देता है तभी भगवान शिव बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध में आकर उस बालक का सिर धड़ से अलग कर देते हैं, तभी वह बालक जोर चिल्लाता है जिसकी आवाज मां पार्वती तक चली जाती है और मां पार्वती दौड़ कर द्वार पर आती है।
और उस बालक का सिर शरीर से अलग देखकर बहुत ही ज्यादा उदास हो जाती है और रोने लगती है, और माता पार्वती भगवान शिव से कहती हैं, कि वह बालक उनके ही द्वारा बनाया गया था, और उनके ही कहने पर आज्ञा का पालन कर रहा था, माता पार्वती भगवान शिव से उस पुत्र को पुनः जीवित करने के लिए कहती है,
जिसके बाद भगवान शिव उस बालक को पुनः जीवित करने के लिए अपने सेवकों को आदेश देते हैं कि वो धरतीलोक पर जाए और जिस बच्चे की मां अपने बालक की ओर पीठ करके सो रही होती है उस बालक का शिर काटकर ले आए, ऐसा कहने के बाद भगवान शिव के सेवक धरतीलोक लोग जाते हैं,
हाथी के बच्चे का सिर कटकर ले आते हैं, जिसके बाद भगवान शिव अपनी दिव्य शक्ति से हाथी के सिर को बालक के सिर के स्थान पर लगाकर उसे पुनः जीवित कर देते है और भगवान शिव उस बालक के अंदर अपने सभी गुणों का समावेश कर देते है, तभी से बालक का नाम गणपति रख दिया जाता है,
साथ ही भगवान शिव गणेश जी को वरदान देते है की हर शुभ और बड़े कार्य से पहला गणेश जी को याद किया जाएगा और उनकी पूजा की जाएगी, इस कहानी के आधार पर ही गणेश चतुर्थी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
गणेश चतुर्थी व्रत कथा
अगर आपको गणेश चतुर्थी व्रत कथा के बारे में नही पता है, तो आपको इसके बारे में जरूर जानना चाहिए, एक बहुत ही गरीब बुढ़िया थी, और वह अंधी भी थी और उसका एक पुत्र और बहु भी थी, वह बुढ़िया नियमित रूप से भगवान गणेश जी की पूजा करती थी।
उस बुढ़िया की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश जी एक दिन प्रकट होते हुए उस बुढ़िया से बोले –
मां! तू जो चाहे वह मांग ले.’ मैं तेरी हर मनोकामना पूरी करूंगा।
बुढ़िया मां बोलती है मुझे तो मांगना नहीं आता. कैसे और क्या मांगना है ?
गणेश जी बोलते हुए कहते है कि अपने बेटे-बहू से पूछकर कुछ भी मांग ले।
जिसके बाद बुढ़िया मां अपने बेटे के पास जाती है, और पूरी कहानी बताती है, तो उसके बाद उस बुढ़िया मां का बेटा कहता की मां तू तो धन मांग ले, उसके बाद वह बुढ़िया मां अपनी बहु के पास जाती है, तो बहु नाती मांगने के लिए कहती है।
जिसके बाद बुढ़िया मां सोचती है की यह दोनो तो अपने मतलब की चीजे मांगने के लिए कह रहे है।
फिर वो अपनी पड़ोसन से पूछने के लिए चली जाती है, फिर पड़ोसन कहती की बुढ़िया मां, तूम तो थोड़े दिन और जिओगी, ना तो तुम धन मांगो और ना ही तुम नाती मांगो. तूम तो अपनी आंखों की रोशनी मांग लो, जिससे तुम्हारी जिंदगी आराम से कट जाएगी।
सब कुछ सोच विचार करने के बाद वह बुढ़िया गणेश जी के पास जाती है, और कहती की है गणेश जी! अगर आप प्रसन्न हो, तो आप मुझे नो करोड़ की माया दे, निरोगी काया दे, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता दें और सारे परिवार को सुख और समृद्धि दे।
जिसके बाद गणेश जी बुढ़िया मां से कहते है, की है मां तुमने तो सब कुछ ही मांग लिया, फिर भी जो तूने मांगा है वह सब कुछ तुझे वचन के अनुसार जरूर मिलेगा, इतना कहने के बाद गणेश जी अंतर्ध्यान हो जाते है, जिसके बाद बुढ़िया मां ने जो जो मांगा वो सब कुछ उस बुढ़िया मां को मिल जाता है।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
गणेश जी को पूजा के दौरान सर्वप्रथम लाल कपड़े पहनाए जाते है, क्योंकि लाल वस्त्रों में गणेश जी बहुत ही ज्यादा सुंदर दिखाई देते है, पूजा के दौरान गणेश जी का मुख पूर्व और उत्तर दिशा में रखा जाता है, फिर पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है।
पंचामृत में सबसे पहले दूध से, फिर दही से, घी से, शहद से और अंत में गंगा जल से गणेश जी अभिषेक किया जाता है, जिसके बाद गणेश जी पर रोली कलावा और सिंदूर चढ़ाया जाता है, रिद्धि सिद्धि के रूप में दो सुपारी चढ़ाई जाती है, फिर फल, पीला कनेर और दूब फूल आदि चढ़ाया जाता है।
जिसके बाद उन्हें मोदक भोग लगाया जाता है, भोग लगाने के बाद सभी लोग गणेश जी की आरती गाते है. और उनके 12 नामों और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, इस प्रकार से गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी की पूजा की जाती है।
आसा है की अब आपको गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है ? (Ganesh Chaturthi Kyon Manaya Jata Hain) से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त हो गई होगी।
यह भी पढ़े:
गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है से संबंधित FAQS
गणेश चतुर्थी क्या है?
दोस्तो गणेश चतुर्थी हिंदुओ का एक मुख्य धार्मिक त्यौहार है, गणेश चतुर्थी हर साल पूरे भारत में मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी के इस त्योहार पर गणेश जी की पूजा की जाती है।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है?
गणेश जी को भगवान शिव ने वरदान दिया था की कोई भी कार्य करने से पहले गणेश जी की आराधना करनी होगी, अगर कोई गणेश जी की आराधना नही करता है, तो उसके कार्य में कोई ना कोई बाधा अवश्य आती है।
गणेश चतुर्थी कब है 2023
इस साल 2023 में गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को है।
गणेश चतुर्थी किस महीने में आती है?
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की स्थापना की जाती है, इस साल सितंबर महीने में गणेश चतुर्थी है।
निष्कर्ष:
उम्मीद करते है, की आपको गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है ? (Ganesh Chaturthi Kyon Manaya Jata Hain) से संबंधित यह लेख पसंद आया होगा, इस लेख में हमारे द्वारा गणेश चतुर्थी क्या है और गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है से जुड़ी हुई सभी प्रकार की जानकारी दी है, अगर यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तो तक अवश्य शेयर करें।